यहां हम आपको जादुई हथौड़े की कहानी (Jadui Hathaude Ki Kahani) बताने वाले है। तो इस Magical Hammer (Moral Stories in Hindi) को अंत तक जरूर पढ़ें।
जादुई हथौड़े की कहानी – Jadui Hathaude Ki Kahani
बहुत समय पहले की बात है एक बार मनसा नामक गाँव में एक लोहार रामगोपाल रहता था। उसका एक भरा-पूरा परिवार था, जिसका लालन-पालन करने के लिए उसे कई बार दिन रात- काम करना पड़ता था। रोज़ की तरह आज भी काम पर जाने से पहले रामगोपाल ने अपना खाने का डिब्बा बांधने के लिए अपनी पत्नी से कहा।
पत्नी जब डिब्बा लेकर आई तो रामगोपाल ने कहा, “मुझे आज आने में देर हो जाएगी। शायद मैं रात को ही आऊँ।” इतना कहकर रामगोपाल अपने काम पर निकल गया।और पत्नी अपने घर के कामो में वयस्थ हो गयीं काम पर जाने का रास्ता एक जंगल से होकर गुज़रता था।
वहाँ जैसे ही रामगोपाल पहुँचा उसे कुछ आवाज़ सुनाई दी। जैसे ही रामगोपाल उसको देखने के लिए कुछ पास गया, तो उसने देखा कि एक साधु भगवान का मंत्र जपने के साथ ही हँस रहा है।
हैरान होकर रामगोपाल ने पूछा, “आप ठीक हैं?”
उस साधु को रामगोपाल नहीं जानता था, लेकिन साधु ने एकदम से उसका नाम लेकर कहा, “आओ रामगोपाल बेटा, मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था। मैं भूखा हूँ, मुझे अपने खाने के डिब्बे में से कुछ खिला दो।”
बाबा से अपना नाम सुनकर रामगोपाल हैरान था। लेकिन उसने कोई सवाल नहीं किया और सीधा अपना खाने का डिब्बा निकालकर उन्हें दे दिया।
देखते-ही-देखते बाबा ने रामगोपाल का सारा खाना खा लिया। उसके बाद उस साधु ने कहा, “बेटा मैं तो तेरा सारा खाना खा गया, अब तुम क्या खाओगे। मुझे माफ़ करना।”मुझे बहुत भूख लगी थी
रामगोपाल ने कहा, “कोई बात नहीं बाबा, मैं काम के लिए बाज़ार जा रहा हूँ, तो मैं वहीं से कुछ खा लूँगा।”
यह सुनकर उस साधु ने रामगोपाल को ख़ूब आशीर्वाद दिया और भेंट के तौर पर एक हथौड़ा दे दिया। रामगोपाल ने कहा, “आपका आशीर्वाद काफ़ी है। मैं इस हथौड़े का क्या करूँगा? इसे आप ही रखिए।”
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साधु ने जवाब देते हुए कहा, “बेटा, यह मामूली हथौड़ा नहीं है। यह जादुई हथौड़ा है, जो मेरे गुरु ने मुझे दिया था और अब मैं तुझे दे रहा हूँ, क्योंकि तुम्हारा दिल साफ़ है। इसका इस्तेमाल अच्छे कामों के लिए ही करना और किसी दूसरे के हाथ में इसे कभी मत देना बेटा। इतना कहकर वह बाबा वहाँ से अदृश्य हो गए।”
रामगोपाल अपने हाथों में हथौड़ा लेकर बाज़ार में काम करने के लिए चला गया। औज़ार बनाने से पहले उसके दिमाग़ में आया कि आज इसी हथौड़े से लोहा पीटता हूँ। जैसे ही उसने लोहे पर हथौड़े से चोट मारी वो सीधा औज़ार बन गया। दूसरी चोट में लोहे के बर्तन बन गये।
यह देखकर रामगोपाल समझ गया कि यह सही में जादुई हथौड़ा है। वो जो बनाने कि सोच के साथ लोहे पर चोट मारता, लोहा सीधा वही बन जाता। जादुई हथौड़े की वजह से रामगोपाल का काम जल्दी ख़त्म हो गया और वो अपने साथ ही उस जादुई हथौड़े को घर ले गया।
इसी तरह रोज़ रामगोपाल उस हथौड़े से जल्दी काम ख़त्म कर लेता और कई बार ज़्यादा बर्तन बनाकर उन्हें गाँव के लोगों को भी बेच देता था। धीरे-धीरे उसके घर के हालात पहले से कुछ ठीक होने लगे।
एक दिन उसी गाँव का मुखिया उसके घर आया और आश्चर्य से बोला, “हम गाँव वालों को शहर जाने में बहुत ज़्यादा समय लगता है। क्या तुम अपने हथौड़े से गाँव और शहर के बीच आने वाला एक पहाड़ तोड़ने में मदद करोगे? इससे बीच में एक सड़क बना लेंगे और गाँव से शहर का सफ़र आसान और छोटा हो जाएगा।”
मुखिया की बात सुनकर रामगोपाल ने उस जादुई हथौड़े से उस पहाड़ को तोड़ दिया। मुखिया और गाँव के लोग बहुत ख़ुश हुए और उसे खूब शाबाशी दी।
पहाड़ तोड़ने के बाद घर लौटते समय लोहार के मन में हुआ कि इस जादुई हथौड़े से मेरा काम जल्दी हो जाता है, लेकिन कुछ ज़्यादा फ़ायदा तो हो नहीं रहा है। इसी सोच में डूबे हुए लोहार घर जाने की जगह दुखी होकर जंगल की तरफ़ चला गया।
उस जंगल में वही साधु बाबा लोहार को दोबारा दिखा। लोहार ने उन्हें अपने मन की सारी बातें बता दीं। साधु ने कहा, “इसका उपयोग सिर्फ़ औज़ार और बर्तन बनाने व पहाड़ तोड़ने तक सीमित नहीं है। इससे तुम अपने मन का कुछ भी बनवा सकते हो और किसी भी कठिन चीज़ को आसानी से तोड़ सकते हो।”
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रामगोपाल ने अच्छे से साधु बाबा से उस जादुई हथौड़े को इस्तेमाल करने का सही तरीका सीखा। उसके बाद रामगोपाल ने बहुत धन कमाया। आज रामगोपाल एक अमीर आदमी बन गया है। अभी भी रामगोपाल को किसी वास्तु की भी ज़रूरत महसूस होती है तो वह उस जादुई हथौड़े का इस्तेमाल कर लेता है।इस तरह रामगोपाल का पूरा परिवार खुशी-खुशी रहने लगा ।