पंचतंत्र की कहानी: गाय और शेर – Lion and Cow Story

Lion and Cow Story in Hindi दोस्तों बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से शेर और गाय की कहानी (Sher Aur Gaay Ki Kahani) एक ऐसी कहानी थी, जो लगभग सभी को पसंद आती थी।

गाय को इस संसार का सबसे सीधा पशु माना जाता है और शेर को इस दुनियां का सबसे शक्तिशाली जानवर समझा जाता है। शायद यही कारण है कि इस दुनियां में सीधे और शरीफ आदमी को गाय की संज्ञा दी जाती है। वहीं जो सबसे बहादुर या खतरनाक होता है उसे शेर कहा जाता है। लेकिन जैसे कभी शरीफ आदमी का खतरनाक आदमी से पाला पड़ जाता है।

ठीक उसी तरह कभी-कभी शरीफ जानवर भी,खतरनाक जानवर के चपेट में आ जाते हैं। तो आज हम आपको जिस शरीफ गाय की कहानी (lion and cow story) सुनाने जा रहे हैं,उसके साथ भी कुछ ऐसा हीं हुआ। तो यहां हम आपको वहीं गाय और शेर की कहानी बताने वाले है। तो इस the lion and the cow story को अंत तक जरूर पढ़ें।

गाय और शेर की कहानी – Lion and Cow Story

बच्चों एक बार एक गाँव में बड़ा हीं ईमानदार किसान रहता था। वो अपनी ईमानदारी के लिए पूरे गाँव में प्रसिद्द था,वो कभी भी दूध में मिलावट नहीं करता था और अपनी गाय से बहुत प्यार करता था। उसके पास जो गाय थी,वो भी किसान को बहुत पसंद करती थी। वो चाहे पूरे दोपहर कहीं भी क्यों ना चरती हो, शाम को वापस किसान के पास हीं लौट कर आती थी।

उस गाय का एक बछड़ा भी था और गाय अपने बछड़े से बहुत प्यार करती थी। गाय हमेशा अपने बछड़े के साथ चरती थी और कभी भी गांव की सीमा से बाहर नहीं जाती थी। क्योंकि उस गाँव के बाहर,एक बड़ा हीं घाना जंगल था। उस जंगल में एक बड़ी हीं भयावह गुफा थी और उस गुफा के अंदर एक बड़ा हीं खूंखार शेर रहता था।

ऐसा कहा जाता था कि, आज तक जो कोई भी उस जंगल में गया और जिसने भी उस शेर को देखा…वो आज तक वापस नहीं लौटा। क्योंकि वो शेर इंसान हो या जानवर सबको बड़ी बेरहमी से मार कर खा जाता था। इसलिए उस किसान ने भी,अपनी गाय को वहां जाने से साफ-साफ मना कर रखा था। इसलिए गाय उस जंगल के आसपास भी नहीं भटकती थी और ना हीं उसका बछड़ा वहां कभी जाता था। लेकिन बच्चों,होनी को भला कौन टाल सकता है?

एक दिन की बात है,दोपहर का समय था और किसान खाना खा कर सोया हुआ था। वहीं गाय अपने बछड़े के साथ बगल के खेत में घास चर रही थी। वे दोनों यूँ हीं घंटों घास चरते रहे और चरते-चरते एक दूसरे से अलग हो गए। वे घास चरने में इतने लीन हो गए कि,उन्हें इस बात का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रहा कि…वे कहाँ जा रहे हैं? बछड़ा तो फिर भी गाँव में हीं चर रहा था, लेकिन वो गाय गाँव की सीमा से बाहर चली गई।

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वो घास चरने में इतनी लीन हो गई कि,उसे जगह का पता ही नहीं चला और वो धीरे-धीरे उस सुनसान जंगल की ओर बढ़ने लगी। कुछ देर बाद वो गाय घास चरते हुए, उस जंगल के बीचों बीच चली गई और उस गुफा के पास पहुँच गई… जहाँ वो शेर रहता था। इस बात से अनजान गाय,शेर की गुफा के आसपास चरती रही और उसके चरने की आवाज से अंदर गुफा में सो रहे शेर की नींद खुल गई।

फिर क्या था ? शेर अपनी गुफा से बाहर आया और उसने गाय को देख कर बड़ी जोर से दहाड़ मारी। यह सुन कर गाय घबरा गई।

तभी शेर ने गाय को देखते हुए कहा… “आज मैं तुझे खाकर,अपनी दो दिनों की भूख मिटाऊंगा।”

यह सुनकर गाय ने कहा…”मुझ पर रहम करो,मुझे जाने दो। मेरा एक बछड़ा है।”

यह सुन कर शेर ने कहा…”उससे मुझे क्या मतलब? मुझे बस अपनी भूख मिटानी है।”

तभी गाय ने कहा…”मैंने सुना है शेर बड़े बहादुर होते हैं,तो क्या तुम मेरी बात नहीं मानोगे?”

शेर ने जवाब दिया…”मुझे अपनी बातों में मत बहकाओ। जानवर का शिकार करना शेर का धर्म होता है। अगर मैं तुम्हे नहीं खाऊंगा,तो भूखा मारा जाऊंगा।”

यह सुनकर गाय ने कहा…”ठीक है अगर तुम्हे मुझे खाना है,तो खा लो। लेकिन एक बार मुझे मेरे मालिक और बछड़े से मिलकर आ जाने दो। ताकि वे मेरा इंतजार ना करें।”

फिर शेर ने कहा…”अगर तुम वापस नहीं आई तो मैं क्या करूँगा?” फिर बकरी ने कहा…”मैं तुम्हे वचन देती हूँ,मैं जरूर आऊँगी।”

फिर क्या था? शेर ने गाय की बात मान ली और गाय वहां से चली गई। उधर किसान और उसका बछड़ा,गाय का बड़ी बेसबरी से इन्तजार कर कर रहे थे। जब उन्होंने गाय को आते हुए देखा, तो उनके जान में जान आई। लेकिन उनको देखते हीं गाय रोने लगी और जब उन्होंने इसका कारण पूछा तब गाय ने सारी बात बता दी।

गाय ने कहा कि… “आज मेरा आप लोगों के साथ आखिरी दिन है। मैं कल मर जाउंगी क्योंकि कल मुझे शेर खाने वाला है।” यह सुनकर किसान और बछड़ा दोनों रोने लगे। लेकिन गाय ने उन्हें खूब समझाया कि,उसने शेर को वचन दिया है और एक अच्छा प्राणी कभी भी अपने किए वादे से पीछे नहीं हटता। गाय ने उस किसान और बछड़े को खूब समझाया। जिसके बाद अगले दिन अपने वचन को निभाने,गाय जंगल की ओर निकल पड़ी।

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गाय शेर की गुफा के पास पहुंची और शेर अपनी गुफा से बाहर निकला। यह देख कर शेर ने कहा…”तुम्हे मरने से डर नहीं लगता।” तभी गाय ने कहा…”नहीं ! मुझे बस इस बात का डर है कि,मेरे बाद मेरे बछड़े और मेरे मालिक का क्या होगा?”

तभी शेर ने कहा…”मुझे लगा था तुम नहीं आओगी।” तभी गाय ने जवाब देते हुए कहा कि…”मैंने तुम्हे वचन दिया था और मैं कभी भी अपना वादा नहीं तोड़ती,इसीलिए यहाँ आई हूँ।” यह सुनकर वो शेर  भगवान में बदल गया और यह देखकर गाय चौंक गई। भगवान ने कहा…”मैं शेर के वेश में तुम्हारी परीक्षा ले रहा था,जिसमें तुम सफल रही। आज से तुम गाय माता के नाम से जानी जाओगी।”

इतना बोलकर भगवान अंतर्ध्यान हो गए और गाय अपने घर वापस लौट गई। गाय ने घर जाकर सबको ये कहानी सुनाई और तभी से गाय को माता के रूप में जाना जाने लगा। तो बच्चों !

शिक्षा (Moral of Story)

इस गाय और शेर की कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है किचाहे परिस्थिति कोई भी क्यों ना हो… हमें हर हाल में अपने दिए हुए वचन का पालन करना चाहिए। 

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